शकीलियत ! नई क़ादयानियत, नया फितना
आप हज़रात के इल्म में होगा कि अब से तक़रीबन सवा सौ बरस पहले क़ादयान पंजाब का रहने वाला र्मिज़ा गुलाम अहमद क़ादयानि ने अपने बारे में कहा था कि वह ही वह मेहदी है जिनके आने की खबर रसूल-अल्लाह (स० अ० व०) ने दी थी, फिर इस ने यह दावा किया था कि रसूल-अल्लाह (स० अ० व०) की बहुत सी हदीसों में बताया
गया है कि आखरी ज़माने में हज़रत ईसा ईब्ने मरयम (मरयम के बेटे ईसा) आयेंगे, मैं ही वो ईसा मसीह हुँ और इस के बाद उस ने अपने नबी होने का दावा कर दिया था। उस वक़्त से लेकर आज तक के तमाम उलेमा इस को गुमराह और काफ़िर मानते आये हैं।
अब से कुछ साल पहले दरभंगा (बिहार) के रहने वाले शकील ख़ान नाम के एक आदमी ने भी इसी तरह का दावा किया है। यह शकील ख़ान भी अपने आप को मेहदी और मसीह कहता है और इस तरह एक नई गुमराही और एक नया फितना वजूद में आया है। यह फितना अब बहुत से शहरों में सर -गरम है। इस नई गुमराही की दावत देने वाले लोग हमारी ही मस्जिदों में नमाज़ पढ़ रहे हैं, और हमारे सीधे साधे़ नौजवानों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपनी सूरत बहुत दीनदार नौजवानों की सी बना रखी है, ताकि लोंगों को आसानी से धोखा दिया जा सके। वे बहुत खुफिया तौर पर हमारे नौजवानों से मिलते हैं और उन की कोशिश होती है के उलेमा ए दीन से नौजवानों को दूर कर दें। जब इसमें कामयाब हो जाते हैं तो उस झूठे शकील के हाथ पर बैअत करने के लिए कहते हैं।
इन लोगों का लगा बंधा तरीका ये है कि यह पहले कहते हैं कि जिस दज्जाल के आने की खबर सैय्यदना मुहम्मद रसूल-अल्लाह (स० अ० व०) ने दी थी वह दज्जाल आ चुका है, और फिर उस से ये कहते हैं कि दज्जाल के बाद मेहदी व मसीह को आना था और वो भी आ चुकें हैं और अब उन के हाथ पर बैअत करना ज़रूरी है। क्योंकि अपने आप को मेहदी और मसीह कहने वाला ये शकील बहुत बदनाम हो चूका है, इस लिए यह किसी को उस शकील का नाम नहीं बताते। अगर कोई इन से पुछता है कि तुम्हारे मेहदी मसीह कहाँ रहते हैं, तो यह इस को साफ़ जवाब भी नहीं देते, बस यही कहते जाते हैं कि पहले बैअत हो जायें फिर बताँएगे।
मेरे भाइयों! ये एक बड़ी गुमराही और फितना है। इस आदमी के दावे के झूठे होने में क्या शक है? हज़रत मेहदी के बारे में हदीस में बताया गया है कि रसूल-अल्लाह (स० अ० व०) कि नस्ल से होंगे, आप के ख़ानदान से होंगे। हज़रत ईसा के बारे में आप सब जानते हैं कि वो बनी इसराईल की नस्ल से ताल्लुक़ रखते हैं। शकील न बनी इसराईल की नस्ल से है और न ही रसूल-अल्लाह (स० अ० व०) की नसल से हैं। यह तो दरभंगा, बिहार के एक पठान (खान) खानदान से है। फिर यह कैसे अपने आप को मेहदी और मसीह कह सकता है।
हदीसों से साफ तौर पर मालूम होता है कि हज़रत मेहदी और मसीह अलेहः आने के बाद खुली ज़िन्दगी में रहेंगे, और शकील छुपता फिर रहा है।
हदीसों से ये भी मालूम होता है कि हज़रत मेहदी और हज़रत मसीह दोंनों वक़्त के ज़ालिमों के खि़लाफ जिहाद करके उन्हें शिकस्त देंगे। हज़रत मेहदी इंसाफ पर मबनी अपनी हुकूमत क़ायम करेंगे, ऐसा करना तो दूर की बात शकील इस का ख्वाब भी नहीं देख सकता।
फिर शकील बहुत बदतमीज़ क़िस्म का आदमी है, जिस ज़माने में शकील दिल्ली में रहता था इस के वालिद इस से मिलने आए, तो इस ने इन के साथ बहुत बदतमीज़ी की और गालियाँ दे कर इन को बाहर निकाल दिया। क्या ऐसा किरदार का आदमी मेहदी या मसीह हो सकता है?
मेरे मोहतरम भाइयों! एक बार में फ़िर अर्ज़ करूँ कि इस शकील की दावत देने वाले लोग इस का नाम शुरू में नहीं बताते हैं। इसलिए अगर कोई आप से या आप के किसी जानने वाले से बात करे, और ये कहे कि दज्जाल आ चुका है, और मेहदी व मसीह भी आ चुके हैं चलो इन के हाथ पर बैअत हो जायें, तो समझ लीजिए कि वह आप को इसी झूठे शकील की दावत दे रहा है, और आप को गुमराह करना चाहता है इसलिए इस से खुद भी बचें और अपने जानने वालों को भी बचाइये।
(मौलाना इल्यास नोमानी साहब)
You are right..
Yes..Can we get a pdf file
Assalam o alaikum,
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